
मेरा देश महान
उसमें मेरा क्या योगदान के कार्यक्रम में
वक्ता संजीव जी जो दिल्ली पुलिस में एसएचओ हैं। ने एक सच्ची घटना का उल्लेख किया
मैंने धन संग्रह कभी नहीं किया।
मेरे पास कोई कार आदि नहीं है, मैं आज भी बस और मेट्रो ट्रेन वगैरा से ही सफर करता हूं ।
पुलिस का ऐसा पेशा है जिसमें कई आरोप-प्रत्यारोप रुटीन में झेलने पड़ते हैं परंतु ईश्वर का आशीर्वाद ऐसा रहा कि हमारे ऊपर के अधिकारी मेरे खिलाफ की जाने वाली शिकायत को तुरंत ही रद्द कर देते थे , यह कहते हुए कि वह किसी का पानी भी नहीं पीता तुमसे क्या रिश्वत लेगा?
चरित्र की इस कमाई को ही मैं अपनी कमाई मानता हूं।
कर्म फल को इंगित करते हुए उन्होंने अपनी नौकरी की एक सच्ची घटना बयान करी कि हमें सूचना मिली एक घर में से बहुत बदबू आ रही है।
मैं पुलिस टीम लेकर वहां पहुंचा तो देखा घर में रहने वाले बुड्ढे बुढ़िया दोनों गुजर चुके हैं। बुढ़िया एक हफ्ते पहले गुजरी थी और बूढ़ा व्यक्ति 3 दिन पहले गुजर चुका था। जब लाशों में भयंकर बदबू हुई तो पड़ोसियों ने पुलिस को फोन किया। मैंने उनके पुत्र को सूचना देने के लिए, (जो अमेरिका में रह रहा था) बोला।
पुत्र अमेरिका से बोलता है हम पैसे भेज देंगे आप उनका दाह संस्कार करा दो।
पड़ोसियों ने जवाब दे दिया पैसे भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है, दाह संस्कार तो हम सब मिलकर करा ही देंगे।
विषय है ऐसा क्यों हुआ?
जांच करने पर पता चला बूढ़ा व्यक्ति सरकारी अधिकारी रहा और जिंदगी भर वैध – अवैध तरीके से धन कमाया तथा बुढ़िया भी स्कूल में टीचर थी और प्राइवेट ट्यूशन उसी स्कूल के बच्चों को पढ़ाती थी तथा ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों को ही पास होने का प्रमाण पत्र देती थी अर्थात पति-पत्नी की ध्यान पैसा कमाने पर था बच्चों को संस्कार देने पर नहीं था।
यही पैसा उन्होंने अपने पुत्र की परवरिश पर खर्च किया और पुत्र भी केवल पैसे की भाषा समझता है संस्कारों की नहीं।
आज हम देख रहे हैं घरों में बच्चे पैदा नहीं हो रहे अपितु माता – पिता के संस्कारों से विहीन डॉक्टर इंजीनियर या आईएएस पैदा हो रहे हैं जिन्हें नैतिकता या जीवन के मूल्यों से कोई लेना देना नहीं है।
हमें अपने परिवार के संस्कारों की तरफ ध्यान देना होगा तथा जीवन के मूल्यों को समझना होगा तभी हम सफल जीवन जी सकते हैं।
देश को महान बनाने के लिए हम सभी लोगों को महान बनना पड़ेगा और अपने अपने हिस्से का काम करना पड़ेगा क्योंकि सब नागरिकों से मिलकर देश बना है चंद नागरिकों से नहीं।
धन्य है ऐसे कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति। इस प्रकार के व्यक्तित्व के दम पर ही आज हमारा देश तरक्की कर रहा है।
जय भगवान शर्मा, फरीदाबाद।