जेवर हवाई अड्डे के पास बसे किसान बाजार दर का 4 गुना रेट की मांग कर रहे हैं जोकि किसानों का अधिकार है। नगला हुकम सिंह के लोग नहीं चाहते है गांव का विस्थापन।
रनहेरा के लोग फलेदा कट पर नहीं बसना चाहते।
6 गांव के लोगों ने प्राधिकरण का यमुना प्राधिकरण (ग्रेटर नोएडा)का किया घेराव मिलना है किसानों का हक शासन प्रशासन के लोग दबाव बनाकर किसानों से झूठी सहमति ले रहे हैं और 2013 के कानून के आधार पर किसानों को नहीं दिया जा रहा है मुआवजा व किसानों का अधिकार!
किसानों के प्रत्येक कुटुंब में से एक मुखिया की सहमति मान्य होती है ना कि छोटे बच्चों की (अगर है तो लिखित में दो और छोटे बच्चों को R&R का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है)
यदि सहमति पत्र 70% /75%/80%
तो उन लोगों का नाम क्यों नहीं दिखाया जा रहा है । इसका मतलब तो यह हुआ कि सिर्फ न्यूज़पेपर में निकाल कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है । अब भोले-भाले किसान जागरूक हो गए हैं । किसी के बहकावे में आने वाले नहीं है
क्या सहमति के लिए कलेक्टर ने कोई नोटिफिकेशन जारी किया है? क्या कलेक्टर ने सहमति के लिए कोई दिन या समय निश्चित किया? क्या कलेक्टर या कोई प्राधिकृत अधिकारी सहमति के लिए आया? किसने सहमति ली और किसने सहमति दी ?क्या विधायक जी को कानूनी रूप से सहमति लेने का अधिकार है ?